!!शैवाल {Algae} : प्रजनन, जीवन, संरचना !!
· एफ. ई. फ़्रिश. को शैवाल विज्ञान का जनक कहा जाता है |

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ओ. पी. आयंगर को
भारतीय शैवाल विज्ञान का जनक कहा जाता है |
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शैवालो के अध्ययन
को शैवाल विज्ञान कहलाता है |
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शैवाल को सामान्य
भाषा में काई भी कहते है |
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इनमे क्लोरोफिल
पाया जाता है | ये स्वयंपोशी होते है | इनमे कुछ परपोषी परजीवी भी मिलते है | इनका
सुकाय उत्तक तंत्रों में बटा नहीं होता है |
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शैवालो में
कोशिका भित्ति होती है |
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अधिकतर शैवालों
में जननांग एककोशिकीय होता है | इनमे बंध्य जैकेट कोशिकाएं नहीं मिलती है तथा
युग्मकी संलयन के बाद भ्रूण विकास नहीं होता है |
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जाइगोट से
अर्धसूत्री विभाजन के बाद सीधे नया पौधा जन्म लेता है |
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लैंगिक जनन में
दो युग्मक संगलित होते है |
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ये युग्मक कशाभिक
युक्त तथा आकार में समान हो सकते है | या कशाभिक विहीन और आकार में समान होते है |
ऐसे जनन को समयुग्मकी जनन कहते है |
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अलैंगिक जनन
भिन्न भिन्न प्रकार के बीजाणुओं से होता है | सामान्यतया ये बीजाणु जूस्पोर
होते है | इनमे कशाभिक होता है | तथा ये चलते है | अंकुरण के बाद इनसे पौधे बन
जाते है |
· शैवाल अपने आस पास ओक्सीजन बढ़ा देते है |
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